नाक की बीमारियां जैसे जुकाम-नजला, साइनस की सूजन या पीव आना, नकसीर तथा हे-फीवर आदि प्रमुख है। इन रोगों के त्वरित निदान के लिए एक्यूपंक्चर पद्धति बहुत लाभदायक है. आइये जाने कौन कौन से पॉइंट इसमें तुरंत लाभ दे सकते है.
उपचार हेतु
1. नजला जुकाम या साइनस के रोगियों को एक्यूप्रेशर से बहुत जल्दी आराम आता है। इसके दबाव बिंदु पैरो के अंगूठो और उँगलियाँ के ऊपरी भाग में, तलवे की तरफ ऊपरी भाग के मध्य में तथा पैरो व हाथों की उँगलियाँ तथा अंगूठे के अनुभाग के केंद्र में होते है। इन दबाव बिन्दुओं के अतिरिक्त पिट्यूटरी ग्रंथि, एड्रिनल ग्रंथि और स्नायु-संस्थान के दबाव बिन्दुओं पर भी दबाव देना चाहिए। हथेलियों विशेषित: अंघुठे तथा उंगलीओं पर दबाव पड़ने से जुकाम से भरी हुआ सिर राहत महसूस करता है। हाथों, पैरों, गर्दन, चेहरे और पीठ पर स्थित दबाव बिन्दुओं पर दबाव देने के आलावा विटामिन सी की गोलियां लेना भी लाभदायक रहता है।
2. नकसीर फूटने पर नाक के दोनों तरफ नथुनो से थोड़ा निचे के दबाव बिन्दुओं पर दबाव देना चाहिए। हाथों पैरों की उँगलियाँ के अगले भाग पर दबाव देने से नाक से खून आना रुकता है। एड्रिनल ग्रंथियों पर भी दबाव देना चाहिए। अधिक रक्तचाप या गुर्दे के कष्ट के कारण फूटी नकसीर में इन अंगो से संबंधित दबाव केन्द्रो पर दबाव देना चाहिए। इसके लिए खोपड़ी के ठीक ऊपर के दबाव निंदु पर भी रबर की हथोडी से धीरे-धीरे चोट देनी चाहिए।
3. हे-फीवर में एलर्जी के कारण नाक की अंदरुनी झिल्ली सुख जाती है जिससे रोगी को साँस लेने में कष्ट होता है, आँखों और नाक से पानी बहता है और छीकें आती है। इसके कारण अनिद्रा रहती है और पेट भी खराब रहता हो जाता है। अगर ये रोग बड़ जाय तो दमा भी हो जाता है।
रोग को दूर करने के लिए उन्ही दबाव बिन्दुओं को दबाकर उपचार किया जाता है जो जुकाम, नजला या साइनस के लिए होते है। इनके अतिरिक्त बड़ी आंत तथा गुर्दो के दबाव बिन्दुओं पर भी दबाव देना उपचार में सहायक है।
Source- Only Ayurved